Wednesday, November 10, 2010

मेरा उत्तर प्रदेश

देश को सर्वाधिक आठ प्रधानमंत्री देने वाला उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। विश्व में केवल पांच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। देश को सर्वाधिक लोकसभा और राज्यसभा सदस्य भी उत्तर प्रदेश ही देता है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। उत्तर प्रदेश का इतिहास बहुत प्राचीन और दिलचस्‍प है। उत्तर वैदिक काल में इसे ब्रहार्षि देश या मध्‍य देश के नाम से जाना जाता था। यह वैदिक काल के कई महान ऋषि-मुनियों, जैसे - भारद्वाज, गौतम, याज्ञवल्‍क्‍य, वसिष्‍ठ, विश्‍वामित्र और वाल्‍मीकि आदि की तपोभूमि रहा। आर्यो की कई पवित्र पुस्‍तकें भी यहीं लिखी गईं। भारत के दो महान महाकाव्‍य रामायण और महाभारत, की कथा भी इसी क्षेत्र पर आधारित हैं। रामायण उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित अयोध्या क्षेत्र तथा महाभारत पश्चमी क्षेत्र में मेरठ के पास हस्तिनापुर से संबंधित माने जाते है।
ईसा पूर्व छठी शताब्‍दी में उत्तर प्रदेश दो नए धर्मों-जैन और बौद्ध के संपर्क में आया। बुद्ध ने अपनी सर्वप्रथम उपदेश सारनाथ में दिया और अपने संप्रदाय की शुरूआत की तथा उत्तर प्रदेश के ही कुशीनगर में उन्‍होंने निर्वाण प्राप्‍त किया। उत्तर प्रदेश में कई नगर, जैसे- अयोध्‍या, प्रयाग, वाराणसी और मथुरा विद्या अध्‍ययन के प्रसिद्ध केंद्र बन गए थे। मध्‍य काल में उत्तर प्रदेश मुस्लिम शासकों के अधीन हो गया जिससे हिंदू और इस्‍लाम धर्मों के संपर्क से नई मिली-जुली संस्‍कृति का जन्‍म हुआ। तुलसीदास और सूरदास, रामानंद और उनके मुस्लिम शिष्‍य कबीर तथा कई अन्‍य संतो ने हिन्‍दी और अन्‍य भाषाओं के विकास में योगदान दिया।
उत्तर प्रदेश ने अपनी बौद्धिक श्रेष्‍ठता को ब्रिटिश शासनकाल में भी बनाए रखा। अंग्रेजों ने आगरा और अवध नामक दो प्रांतो को मिलाकर एक प्रांत बनाया जिसे आगरा और अवध संयुक्‍त प्रांत के नाम से पुकारा जाने लगा। बाद में 1935 में इसे संक्षेप में केवल संयुक्‍त प्रांत कर दिया गया। स्‍वतंत्रता प्राप्ति के पश्‍चात् जनवरी 1950 में संयुक्‍त प्रांत का नाम ‘उत्तर प्रदेश’ रखा गया।