
ईसा पूर्व छठी शताब्दी में उत्तर प्रदेश दो नए धर्मों-जैन और बौद्ध के संपर्क में आया। बुद्ध ने अपनी सर्वप्रथम उपदेश सारनाथ में दिया और अपने संप्रदाय की शुरूआत की तथा उत्तर प्रदेश के ही कुशीनगर में उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया। उत्तर प्रदेश में कई नगर, जैसे- अयोध्या, प्रयाग, वाराणसी और मथुरा विद्या अध्ययन के प्रसिद्ध केंद्र बन गए थे। मध्य काल में उत्तर प्रदेश मुस्लिम शासकों के अधीन हो गया जिससे हिंदू और इस्लाम धर्मों के संपर्क से नई मिली-जुली संस्कृति का जन्म हुआ। तुलसीदास और सूरदास, रामानंद और उनके मुस्लिम शिष्य कबीर तथा कई अन्य संतो ने हिन्दी और अन्य भाषाओं के विकास में योगदान दिया।
उत्तर प्रदेश ने अपनी बौद्धिक श्रेष्ठता को ब्रिटिश शासनकाल में भी बनाए रखा। अंग्रेजों ने आगरा और अवध नामक दो प्रांतो को मिलाकर एक प्रांत बनाया जिसे आगरा और अवध संयुक्त प्रांत के नाम से पुकारा जाने लगा। बाद में 1935 में इसे संक्षेप में केवल संयुक्त प्रांत कर दिया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् जनवरी 1950 में संयुक्त प्रांत का नाम ‘उत्तर प्रदेश’ रखा गया।