Saturday, September 29, 2012

उत्तर प्रदेश के राजनीतिक इतिहास के साक्ष्य


उत्तर प्रदेश के राजनीतिक इतिहास के साक्ष्य ऋग्वेद युग से मिलने शुरू होते हैं। शुरुआत में आर्य सभ्यता का क्षेत्र सप्तसिंधु (अविभाजित भारत की सात नदियों का प्रदेश)नदी था। बाद में गंगा और सरस्वती के मैदानों में कुरु, कोसल, पांचाल और काशी राज्यों का उदय हुआ। ये क्षेत्र वैदिक सभ्यता के प्रमुख केंद्र बने। छठी सदी में गुप्त युग के पतन के बाद कन्नौज और थानेश्वर शक्ति के नए केंद्र बनकर उभरे। इसके राजा हर्षवर्धन (606-647 ईस्वी) के अधीन उत्तर भारत का एक बड़ा साम्राज्य था। हर्ष के समय में ही चीनी यात्री हवेन सांग भारत आया था। हर्ष की मृत्यु के बाद उत्तर भारत पर वर्चस्व की लड़ाई में अंतिम रूप से गुर्जर-प्रतिहार वंश विजयी रहा। नौवीं-दसवीं सदी में उनका वर्चस्व बना रहा। 1018-19 में महमूद गजनवी ने उनको पराजित कर दिया। इसके बाद इस क्षेत्र में गहरवार वंश का प्रभुत्व रहा। इस वंश के राजा जयचंद (1170-1193 ईस्वी) ने पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ महमूद गोरी का साथ दिया। लिहाजा 1192 ईस्वी में महमूद गोरी ने पृथ्वीराज को पराजित किया और 1193 ईस्वी में जयचंद को हरा कर उसकी हत्या कर दी। 1203 में चंदेल वंश के राजा वीर परमल को गोरी के सहयोगी कुतुबुद्दीन ऐबक ने हरा दिया।
1206 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली की गद्दी पर बैठा और उसने गुलाम वंश की स्थापना की। उसके बाद खिलजी और तुगलक शासकों ने दिल्ली सल्तनत के दायरे को बढ़ाया। वर्तमान उत्तर प्रदेश का अधिकांश हिस्सा उनके अधीन था। उस दौरान सम्भल, कड़ा और बदायूं की रियासतें क्षेत्रीय ताकत बनकर उभरीं।
1394 में राज्य के पूर्वी छोर पर जौनपुर में शर्की साम्राज्य की स्थापना हुई। तुगलक शासकों से विद्रोह कर उनके एक गर्वनर मलिक सरवर ख्वाजा जहां ने इस साम्राज्य की नींव डाली। 1506 ईस्वी में लोदी वंश के शासक सिकंदर लोदी ने दिल्ली की जगह आगरा को अपनी राजधानी बनाया। उसके वंशज इब्राहीम लोदी को 1526 में बाबर ने हराकर आगरा को कब्जे में कर लिया। इस तरह मुगल वंश सत्ता के शिखर पर काबिज हुआ। अकबर का शासन उस युग में सबसे उल्लेखनीय रहा। उसकी उदारवादी नीतियों के चलते शांति और समृद्धि का माहौल बना। इसके उलट औरंगजेब की कट्टर नीतियों के चलते मुगल शासन को धक्का लगा। उसके समय में ही बुंदेलखंड के वीर छत्रसाल ने विद्रोह का बिगुल बजा दिया।
अवध में स्थानीय गर्वनर सादत अली खां ने 1732 में स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। उसी दौर में रोहिलखंड में रोहिल शासकों ने भी स्वतंत्र राज्य की घोषणा कर दी। 1774 में ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद से अवध के नवाब ने रोहिल शासकों को परास्त कर दिया।
1857 के गदर में राज्य के लोगों की ऐतिहासिक भूमिका रही। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, अवध की बेगम हजरत महल, बख्त खान, नाना साहब, मौलवी अहमदुल्ला शाह, राजा बेनी माधव सिंह, अजीमुल्ला खान समेत अनगिनत देशभक्तों ने अंग्रेजी हुकूमत से जमकर लोहा लिया।
1858 में उत्तर-पश्चिम प्रांत से दिल्ली डिवीजन को अलग कर दिया गया और प्रदेश की राजधानी को आगरा से इलाहाबाद स्थानांतरित कर दिया गया। उसी साल एक नवंबर को ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों से राजनीतिक शक्ति महारानी विक्टोरिया के पास चली गई। 1877 में उत्तर-पश्चिम प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर और अवध के चीफ कमिश्नर के पदों का विलय हो गया। उसके बाद इस पूरे बड़े क्षेत्र को आगरा और अवध का उत्तर-पश्चिमी प्रांत कहा जाने लगा। 1902 में एक बार फिर इस नाम में परिवर्तन हुआ और इसको आगरा और अवध का संयुक्त प्रांत कहा जाने लगा। 1937 में इसके नाम संक्षिप्तीकरण हो गया और इसको संयुक्त प्रांत कहा जाने लगा। आजादी के ढाई साल बाद 12 जनवरी, 1950 को इस प्रांत को वर्तमान नाम उत्तर प्रदेश मिला। जब आजाद भारत में 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ तो उत्तर प्रदेश देश में पूर्ण राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।

Wednesday, November 10, 2010

मेरा उत्तर प्रदेश

देश को सर्वाधिक आठ प्रधानमंत्री देने वाला उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। विश्व में केवल पांच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। देश को सर्वाधिक लोकसभा और राज्यसभा सदस्य भी उत्तर प्रदेश ही देता है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। उत्तर प्रदेश का इतिहास बहुत प्राचीन और दिलचस्‍प है। उत्तर वैदिक काल में इसे ब्रहार्षि देश या मध्‍य देश के नाम से जाना जाता था। यह वैदिक काल के कई महान ऋषि-मुनियों, जैसे - भारद्वाज, गौतम, याज्ञवल्‍क्‍य, वसिष्‍ठ, विश्‍वामित्र और वाल्‍मीकि आदि की तपोभूमि रहा। आर्यो की कई पवित्र पुस्‍तकें भी यहीं लिखी गईं। भारत के दो महान महाकाव्‍य रामायण और महाभारत, की कथा भी इसी क्षेत्र पर आधारित हैं। रामायण उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित अयोध्या क्षेत्र तथा महाभारत पश्चमी क्षेत्र में मेरठ के पास हस्तिनापुर से संबंधित माने जाते है।
ईसा पूर्व छठी शताब्‍दी में उत्तर प्रदेश दो नए धर्मों-जैन और बौद्ध के संपर्क में आया। बुद्ध ने अपनी सर्वप्रथम उपदेश सारनाथ में दिया और अपने संप्रदाय की शुरूआत की तथा उत्तर प्रदेश के ही कुशीनगर में उन्‍होंने निर्वाण प्राप्‍त किया। उत्तर प्रदेश में कई नगर, जैसे- अयोध्‍या, प्रयाग, वाराणसी और मथुरा विद्या अध्‍ययन के प्रसिद्ध केंद्र बन गए थे। मध्‍य काल में उत्तर प्रदेश मुस्लिम शासकों के अधीन हो गया जिससे हिंदू और इस्‍लाम धर्मों के संपर्क से नई मिली-जुली संस्‍कृति का जन्‍म हुआ। तुलसीदास और सूरदास, रामानंद और उनके मुस्लिम शिष्‍य कबीर तथा कई अन्‍य संतो ने हिन्‍दी और अन्‍य भाषाओं के विकास में योगदान दिया।
उत्तर प्रदेश ने अपनी बौद्धिक श्रेष्‍ठता को ब्रिटिश शासनकाल में भी बनाए रखा। अंग्रेजों ने आगरा और अवध नामक दो प्रांतो को मिलाकर एक प्रांत बनाया जिसे आगरा और अवध संयुक्‍त प्रांत के नाम से पुकारा जाने लगा। बाद में 1935 में इसे संक्षेप में केवल संयुक्‍त प्रांत कर दिया गया। स्‍वतंत्रता प्राप्ति के पश्‍चात् जनवरी 1950 में संयुक्‍त प्रांत का नाम ‘उत्तर प्रदेश’ रखा गया।